ममता भरी बड़ी आँखों में
लोक बेद की रीत
बुआ के लोरी जैसे गीत।
गोद बुआ की जैसे कोई फूलों का झूला
किस्से उड़नखटोले वाले कभी नही भूला
ढोल बजाती बुआ बिखरता आँगन भर संगीत।
पेड़े लुका छिपा रखती थीं मेरे लिए कहीं
घर में चौके में आँगन में खोई सदा रहीं
चोर सिपाही सुरबग्घी में सबको लेतीं जीत।
मन की दीवारों पर उनकी थापें सई हुईं
और पिता में उनकी छाया अब तक बसी हुई
इमली आम नीम तुलसी से सदा निभाई प्रीत।